बहुत अरमान थे मेरे फिर भी कम निकले
इतने अरमान थे कि हर अरमान में दम निकले.
क्या खूब लिखा दिया लिखने वाले ने. बहुत अरमान थे फिर भी कम निकले. हिंदीशायरी (Hindi Shayary) की ये चंद लाइनों में किसी शायर ने अपने दिल की हसरतों को बड़ी खूबसूरती से बयान कर दिया.
जिंदगी से या उपरवाले से शिकायतें तो हर किसी को रहती हैं कि उसने मेरे साथ बड़ी नाइंसाफी की. कभी-कभी गुस्सा आता है अपनी जिंदगी पर मगर हम उस उपरवाले की नियामतों पर गौर भी तो करें. ये शिकायतें तो सबको रहतीं हैं कि हमें ये नहीं मिल रहा, हमें वो नहीं मिल रहा, मगर इस बात का शुक्रिया भी तो मनाएं की हमें क्या-क्या मिल रहा है.
शिकायतें ही शिकायतें ही क्यों? कभी ऊपर वाले का शुक्रिया भी तो मनाएं. यहाँ पर पूरी पोस्ट पढ़ें.
गुस्सा और क्रोध में तो इंसान घुटता है और अगर ये लम्बे समय तक कायम रहे तो शरीर के साथ मन को भी नुकसान पहुंचाता है. क्रोध में इंसान सबसे ज्यादा अपने आपको नुकसान पहुचाता है.
ज़िंदगी तो उपर वाले का वरदान है. अब किसी को ख़ुशी ज्यादा मिलीं तो किसी को गम ज्यादा. उस ऊपरवाले का भी तो हम शुक्रिया अदा करें की उसने हमें इंसान बनाया. खुशियाँ और गम तो सभी को मिलते रहते हैं, लेकिन बहुत ज्यादा शिकायत करके शायद हम खुद का ही अहित करते हैं.
याद आ रहे हैं एक हिंदी फिल्म के कुछ दिल को छू लेने वाले संवाद
ये जीना भी तो जीना है.
अगर ये जीना जीना नहीं है, तो फिर जीना क्या है?
कुछ दिल में विचार थे तो उनको ब्लॉग पर साझा कर दिया. Friends आप इस ब्लॉग पर हिंदी में motivational and inspirational articles, Hindi blog post, Hindi में कुछ मजेदार बातें पढ़ सकते हैं. आप की प्रतिक्रियाओं का इन्तजार है.
कुछ अन्य ब्लॉग पोस्ट
1 टिप्पणियाँ