आप जानते हैं गस पगोनिस को?

फिल्म 'कोशिश’ की शूटिंग चल रही थी, एक सीन फिल्माया जाना था। सीन था, जब संजीव कुमार का पुत्र एक गूँगी, बहरी लड़्की से शादी करने से इंकार कर देता है। तब पिता बने संजीव कुमार अपने पुत्र समझाते हैं कि तुम्हें पढ़ा-लिखाकर इतना बड़ा केवल इसलिए किया कि तुम अपने पिता की भावनाओं को न समझो। तुहारी माँ भी गूँगी और बहरी थी, मैं तो आज भी गूँगा और बहरा हूँ, लेकिन तुम तो सही सलामत हो। फिर मेरा दिल क्यों दुखा रहे हो।

Motivational Article by: डॉ. महेश परिमल

संजीव कुमार ने इस सीन को इतने दिल से किया कि सीन ओ.के. होने के बाद एक लाइटमैन ने कह दिया कि देख लेना, इस बार का भरत अवार्ड ‘हरी भाई’ को ही मिलेगा। सचमुच उस वर्ष का भरत अवार्ड संजीव कुमार को ही मिला। लेकिन इसके लिए उन्होंने उस लाइटमैन को इसका श्रेय दिया। इस तरह से उन्होंने अपनी विजय को दूसरों की विजय बताया।

यह थी एक लाइटमैन की छोटी-सी कहानी। वह छोटा-सा प्राणी कहीं कोई बड़ी शख्सियत का मालिक नहीं था। लेकिन उसके पास अभिनय को परखने की दृष्टि थी। बहुत से बड़े-बड़े कामों के पीछे छोटे-छोटे लोगों का हाथ होता है। लेकिन श्रेय किसी और को मिलता है। परदे के पीछे कई हस्तियाँ ऐसी होती हैं, जो चकाचौंध से दूर होकर अपना काम करती रहती हैं, पर सबको जाना नहीं जा सकता। लेकिन एक सच्चे इंसान को इन्हें जानना आवश्यक होता है। हमारे जीवन में भी कई ऐसे लोग होंगे, जिनसे हमने प्रेरणा ली होगी। न भी ली हो, पर हमारी सफलता में उनका भी हाथ होगा ही।

आप जानते हैं गस पगोनिस को?

बड़ी-बड़ी संस्थाओं में छोटे-छोटे कर्मचारी होते हैं, जिनका काम कोई खास नहीं होता, लेकिन उनका काम महत्वपूर्ण होता है। उनके काम को कभी अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए। कई काम ऐसे हैं, जो छोटे माने जाते हैं, पर उसका पता तभी चलता है, जब वह काम करने वाला व्यक्ति सामने नहीं होता।

आप कितनी भी महँगी घड़ी खरीद लें, पर उसके पट्टे को संभालने वाली एक छोटी-सी पिन होती है, जो बमुश्किल एक या दो रुपए में मिलती है, लेकिन पूरी घड़ी को संभालने का दारोमदार उसी पिन में छिपा होता है। अब उसके महत्व को अनदेखा तो नहीं किया जा सकता।

स्कूटर का क्लच या गेयर वायर भला कितने का होता है, पर जब वह टूटता है, तो गाड़ी को यूँ ही ढुलाते हुए कई किलोमीटर तक ले जाना पड़ता है, तब समझ में आता है कि एक छोटा-सा वायर भी स्कूटर के लिए कितना महत्व रखता है? जीवन में परदे के पीछे कई ऐसे लोग होते हैं, जिनसे कुछ न कुछ सीखा जा सकता है।

गस पगोनिस

खाड़ी युद्ध के दौरान यदि गस पगोनिस नहीं होता, तो शायद बुश और उसके राजनैतिक सलाहकार कोलीन पावेल इतने नहीं इतराते। गस पगोनिस उनके लोजिस्टिक मैनेजर हैं, इनका मुख्य काम यही है कि सैनिकों को समय पर राशन, कपड़े, डीजल-पेट्रोल आदि की आपूर्ति करना। यह काम हालांकि छोटा-सा है, लोगों की नजर में गस पगोनिस की हैसियत एक राशन वाले से अधिक नहीं है, लेकिन उसने यह कार्य अंत तक शिद्दत के साथ किया, यही बहुत है।

किसी भी संस्था के लिए लोजिस्टिक मैनेजर का बहुत महत्व है, यह अलग बात है कि अन्य मैनेजरों की तुलना में उसकी हैसियत एक आपूर्तिकर्ता से अधिक नहीं है। जो सैनिक युद्ध में लड़ते रहते हैं, उनके लिए यह महत्वपूर्ण है कि उनके पास आवश्यकताओं की चीजे समय पर पहुँच जाएँ। अब यदि वे लड़ाई में जीत जाएँ, तो इसके लिए उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा। लेकिन वे इसे अच्छी तरह से समझते हैं कि उनके पास यदि जरूरत की चीजें समय पर नहीं पहुँच पातीं, तो उनके लिए यह मोर्चा जीतना मुश्किल था।

गस पगोनिस जैसे लोग परदे के पीछे ही होते हैं, लेकिन उनके काम को कोई भी अनदेखा नहीं कर सकता। ये वो जाँबाज सैनिक होते हैं, जो अपने कार्यों से लोगों को जीत के लिए प्रेरित करते हैं। इन्हें किसी भी अच्छी बात का श्रेय नहीं मिलता, ऐसे लोग चाहते भी नहीं कि उन्हें इसका श्रेय मिले। यह तो लोगों की भलमनसाहत होती है कि वे ऐसे लोगों को अपनी जीत का श्रेय देते हैं।

फिल्म फेयर अवार्ड घोषित होता है, जिन्हें काफी इनाम मिलते हैं और उनमें इंसानियत होती है, तो इसका श्रेय वे निर्देशक, कोरियाग्राफर, डायलॉग राइटर, मेकअपमैन को देेते हैं। क्योंकि वे अच्छी तरह से जानते हैं कि उनसे अच्छा काम निर्देशक ने लिया है, उनके चेहरे पींपल्स आदि को दूर करने में मेकअपमैन का हाथ है, जिस संवाद पर लोग तालियाँ बजाते हैं, वे संवाद उसके नहीं थे। वह तो केवल एक माध्यम ही था। अतएव वह अपनी जीत का श्रेय दूसरों को देने में नहीं चूकते। ऐसे लोग अनजाने में ही गस पगोनिस का ही सम्मान करते हैं।

व्यवसाय में कई तरह के गस पगोनिस होते हैं, जो परदे के पीछे रहकर अपना काम करते रहते हैं। धोबी, नाई, मोची, कामवाली बाई जैसे कई लोग समाज में होते हैं, जिनसे हमारा कोई सीधा संबंध नहीं होता, लेकिन उनकी अनुपस्थिति बता देती है कि वे हमारे लिए कितने महत्वपूर्ण हैं। व्यापार और व्यवसाय में यह बात भी महत्व रखती है कि एक अदना सा कर्मचारी भी संस्था के लिए महत्वपूर्ण है।

यदि व्यापार उन्नति करता है, तो श्रेय इन्हें भी मिलना चाहिए। इनके कामों को कभी अनदेखा नहीं करना चाहिए। मैनेेजमेंट का फंडा यही कहता है कि हमारे आसपास कई गस पगोनिस हैं, जो अपना काम पूरी ईमानदारी से कर रहे हैं। हमें परदे के पीछे रहने वाले उन लोगों की तरफ ध्यान देना चाहिए। जिस व्यापारी ने एक हमाल की अहमियत नहीं समझी, तो समझ लो, उसका व्यापार चौपट होने में वक्त नहीं लगेगा। इसलिए जब भी कर्मचारियों के हित में कोई बात हो, तो हमारे आसपास परदे के पीछे गस पगोनिस की तरफ अवश्य ध्यान दिया जाए।

जिन्होंने अभी-अभी अपना व्यवसाय प्रारंभ किया है, उनके लिए यही कहना है कि छोटे-छोटे कर्मचारियों की तरफ विशेष ध्यान दिया जाए। क्योंकि ये निष्ठावान होते हैं, अपने काम के प्रति ईमानदार होते हैं, लम्बे समय तक संस्था में बने रहेंगे। लेकिन जो ऊँची कुर्सी पर बैठे अधिकारी को जब भी कोई अच्छा मौका मिलेगा, तो वह नहीं चूकेगा। उसे अपनी निष्ठा बदलने में जरा भी वक्त नहीं लगेगा। वह और भी ऊँचे वेतन पर कहीं चला जाएगा।

लेकिन छोटा कर्मचारी संस्था छोडऩे के पहले लाख बार सोचेगा। उसे वह सब याद आएगा, जो आपने उसकी भलाई के लिए किया। आपकी प्रताड़ना को वह भूल जाएगा, लेकिन आपके द्वारा की गई भलाई को वह कभी नहीं भूलेगा। ऐसे लोग ही होते हैं संस्था का आधार। इमारत कितनी भी बड़ी हो, तो उसकी ऊँचाई नहीं देखनी चाहिए, बल्कि उसकी बुनियाद की प्रशंसा करनी चाहिए, जो दिखाई नहीं दे रही है, पर उस पूरी इमारत को संभाले हुए है।

ऐसे बहुत से लेखक हुए हैं, जो अपनी महान् रचना का श्रेय किसी ऐसे व्यक्ति को देते हैं, जो अदना-सा है, जो साहित्य का ककहरा भी नहीं जानता। पर ऐसे लोग भी हैं। लेकिन ऐसे भी लोग हैं, जो ताजमहल तो बनवा लेेते हैं, लेकिन नाम उन्हीं का होता है, उनके कारीगरों को कौन जानता है?

जब भी कोई बड़ा काम बिगड़ता है, तो आप पाएँगे कि ठीकरा किसी अदने से व्यक्ति के सर ही फूटता है। तब कोई बड़ा अधिकारी यह कहने नहीं आता कि इसके लिए मैं ही जिम्मेदार हूँ। लेकिन अच्छे काम का श्रेय लेने की होड़ मच जाती है। तो अपनी जड़ों को न भूलें, आधार को अनदेखा न करें, छोटे काम भी महत्व के होते हैं, इसे समझने का प्रयास करें,श्रेय देने में इन्हें सदैव सामने लाएँ, तो ही व्यापार उन्नति करेगा और व्यापारी का यश बढ़ेगा।

डॉ. महेश परिमल जी के प्रेरणादायी लेख Dr. Mahesh Parimal Ji ke lekh in Hindi

डाॅ. महेश परिमल (Dr. Mahesh Parimal), 403,Bhawani Parisar, Indrapuri BHEL, BHOPAL 462022. Mo.09977276257. Blog: संवेदनाओं के पंख/दिव्य दृष्टि

छत्तीसगढ़ की सौंधी माटी में जन्मे महेश परमार ‘परिमल’ मूलत: एक लेखक हैं। बचपन से ही पढ़ने के शौक ने युवावस्था में लेखक बना दिया। आजीविका के रूप में पत्रकारिता को अपनाने के बाद लेखनकार्य जीवंत हो उठा। एक ऐसा व्यक्तित्व जिसके सपने कभी उसकी पलकों में कैद नहीं हुए, बल्कि पलकों पर तैरते रहे और तैरते-तैरते किनारों को अपनी एक पहचान दे ही दी। आज लेखन की दुनिया का इनका भी एक जाना-पहचाना नाम है।

देश के अनेक ख्याति प्राप्त पत्र-पत्रिकाओं में इनके अनेक आलेखों का प्रकाशन हुआ है.

डॉ. महेश परिमल जी को भाषाविज्ञान में पी-एच.डी. का गौरव प्राप्त है। अब तक सम-सामयिक विषयों पर दो हजार से अधिक आलेखों का प्रकाशन। आकाशवाणी के लिए फीचर-लेखन, दूरदर्शन के कई समीक्षात्मक कार्यक्रमों की सहभागिता। पाठ्यपुस्तक लेखन में भाषा विशेषज्ञ के रूप में शामिल। विश्वविद्यालय स्तर पर अंशकालीन अध्यापन। अब तक तीन किताबों का प्रकाशन। पहली ‘लिखो पाती प्यार भरी’ को मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी द्वारा दुष्यंत कुमार स्मृति पुरस्कार, दूसरी किताब ‘अनदेखा सच’ और तीसरी “अरपा की गोद में” को पाठकों ने विशेष रूप से सराहा।

डॉ. महेश परिमल जी की लेखन यात्रा अनवरत जारी है. हम इनके उज्जवल भविष्य के लिए कामना करते हैं. साथ ही हमारे साथ ये प्रेरणादायक लेख (Motivational Article) share करने के लिए हम इनके बहुत आभारी हैं.

We are grateful to Dr. Mahesh Parimal Ji for sharing this motivational Hindi article with us. Dr. Mahesh Parimal Ji is a famous Hindi writer. He wrote many inspirational articles and stories in Hindi. We hope to read his best articles and stories here in future. We wish for his success and a bright future.

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