देश का गौरव रामगढ़ की रानी अवंतीबाई. Ramgarh Ki Rani Avanti Bai. भरा न हो जो भावों से जिसमें बहती रसदार नहीं, ह्रदय नहीं वो पत्थर है जिसे स्वदेश से प्यार नहीं. दोस्तों, हमारी मात्रभूमि को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति दिलाने वाले कई महापुरुषों और वीरांगनाओं को हम जानते हैं. महान बिरसा मुंडा, रानी दुर्गावती जैसे नामों को हम जानते हैं लेकिन कुछ नाम ऐसे भी हैं जो आज उतने लोकप्रिय नहीं हैं. लेकिन इनके योगदान और बहादुरी को कम करके नहीं आँका जा सकता. रानी अवंती बाई लोधी का नाम भी कुछ ऐसा ही है. इन्होने अपने राज्य की रक्षा के लिए खुद को बलिदान कर दिया. ऐसी वीरांगनाओं की कहानियां लिखना एक सौभाग्य का विषय है.
भारत की वीरांगना रानी अवंतीबाई
Hindisuccess.com पर आज हम ज्यादा तो नहीं मगर इनके बारे में संक्षिप्त जानकारी दे रहे हैं. मध्यप्रदेश की माटी में जन्मी इन महान नारी की गाथा देशभक्ति का अनुपम उदाहरण है.
We are proud of the Great Queen of Ramgarh Avanti Bai Lodhi. She was a great Indian. She was one of the best Indian Queens. She made many reforms in Ramgarh State. People there liked her action. She was a great Indian Ruler.
(इमेज: हरिभूमि से साभार) |
रामगढ़ की रानी अवंतीबाई का नाम भारत के इतिहास में अमर है. ये रेवांचल में मुक्ति आंदोलन की सूत्रधार थी. इन्होने भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वीरांगना अवंती बाई का जन्म मध्यप्रदेश में सिवनी जिले के मनकेडी नामक ग्राम में हुआ था. रामगढ़ राज्य के राजा लक्ष्मण सिंह थे. उनके निधन के बाद विक्रमादित्य सिंह ने राजगद्दी संभाली.
1855 ई. में राजा विक्रमादित्य सिंह की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गयी. अब नाबालिग पुत्रों की संरक्षिका के रूप में राज्य शक्ति रानी के हाथों आ गयी. रानी ने राज्य के कृषकों को अंग्रेजों के निर्देशों को न मानने का आदेश दिया, इस से रानी की लोकप्रियता बढ़ी. 1857 के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में रानी की महत्वपूर्ण भूमिका रही. रानी ने राज्य के आस-पास के राजाओं, परगनादारों, जमींदारों और बड़े मालगुजारों का विशाल सम्मेलन रामगढ़ में आयोजित किया. रामगढ़ की रानी ने बड़ी बहादुरी से अंग्रेजों का मुकाबला किया. 1857 में रानी के प्रयासों से मण्डला जिला एवं रामगढ़ राज्य अंग्रेजों से स्वतंत्र हो गया था. रानी ने अंग्रेजी राज्य का विरोध किया और एक महिला होकर इतने शौर्य और पराक्रम का परिचय दिया.
20 मार्च सन 1858 को अंग्रेजों से लड़ते हुए खुद को घिरते हुए देखकर पेट में तलवार घुसा कर खुद को बलिदान कर लिया. मध्य भारत मध्यप्रदेश की इस वीरांगना के लिए शत-शत नमन.
हिंदीसक्सेस डॉट कॉम इनकी शहादत को प्रणाम करता है.
रामगढ़ का गौरव
रामगढ राज्य और यहाँ की रानी के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. आजादी की लड़ाई में बहुत से लोगों के योगदान उल्लेखनीय हैं. भारत के महान व्यक्तित्वों में रामगढ़ की रानी का नाम उल्लेखनीय है. ये मध्य भारत के लिए गर्व की बात है. We want to share such stories. if you have someone you may send us.
Anil Sahu. CEO and Founder of ‘Hindi Success’ and ‘Education Today’.
धन्यवाद.
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Ramgarh Ki Rani Avanti Bai. रामगढ़ की रानी अवंतीबाई का नाम भारत के इतिहास में अमर है. ये रेवांचल में मुक्ति आंदोलन की सूत्रधार थी. इन्होने भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. हम इनके योगदान को नमन करते हैं. आप से निवेदन है कि इस पोस्ट को अपने दोस्तों को whatsapp पर शेयर करें.
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